भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और आंदोलन लोकतंत्र का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। यदि आपको सरकार का कोई कदम अनुचित लगता है या किसी कानून पर आपत्ति है, तो आप निश्चित तौर पर विभिन्न अहिंसात्मक और संवैधानिक माध्यम से अपना विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं। वर्तमान समय में देश के कुछ हिस्सों…
Continue ReadingHindi
अम्बेडकर और संविधान
भारतीय संविधान की संरचना एक कहानी बयां करती है जहां राष्ट्रवाद से निर्मित देश के मूलभूत तत्वों में संविधान शायद वह श्वास है, जो हमारे लोकतंत्र का आधार है| यदि हम अपने संविधान की पृष्ठभूमि को देखें तो यह स्वयं में काफी अनोखी है, 1857 की क्रांति के बाद ही ब्रिटिश राज ने भारत के…
Continue Readingगुरु गोबिंद सिंह : पराक्रम की पराकाष्ठा
“सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़िया ते नाल बाज़ तुड़ाऊं, तबे गोबिंद सिंह नाम कहाऊं।” -गुरु गोबिंद सिंह एक उन्नतिशील और प्रतिभासंपन्न राष्ट्र के पीछे उसके इतिहास की अहम भूमिका रहती है। इतिहास हमारी संस्कृति और अटूट निष्ठा के बीच एक सेतु के रूप में विस्तृत है। भारत के गौरवशाली इतिवृत्तीओं में शूरवीरों और…
Continue Readingवर्तमान परिवेश में गांधी की प्रासंगिकता
आज बापू के बारे में कुछ लिखने या कहने में एक असमंजस की स्थिति उत्पन्न होती है, मैं उस महात्मा का क्या व्याख्यान करूं जिन्हें अपनी सोच के वृत्त में समेटना ही गलत हो! भारत में मानसिक गुलामी और राजनीतिक आकांक्षाओं ने पैर पसार लिए हैं, वोट बैंक से लेकर धर्म विवादों में लिपटा आज…
Continue Readingतुल्यता के समय में ‘पिंकटैक्स’
आज वैश्विक स्तर पर महिलाएं पुरुषों की तुलना में एक समान उत्पादों के लिए अधिक राशि का भुगतान करती हैं। महिलाओं द्वारा चुकाई जाने वाली इस अलक्ष्यकर को ‘पिंकटैक्स’ का नाम दिया गया है| एक महिला के जीवन में लड़कियों के खिलौने और स्कूल की वर्दी से लेकर “एडल्टडायपर्स” (सैनिटरीपैड) तक पिंकटैक्स सभी उत्पादों में…
Continue Readingहिंदी दिवस : हिंद में हिंदी की स्थिति
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।। -भारतेन्दु हरिश्चन्द्र अर्थात् “सभी उन्नति का मूल अपनी भाषा है। अपनी भाषा के ज्ञान के बिना हृदय आनंदित नहीं हो सकता. भले ही खुश होने का ढोंग कर लिया जाये, पर हृदय का शूल मिटाने के लिए अपनी भाषा…
Continue Readingभारत-चीन सीमा: तनाव एवं राजनीति
मई महीने की शुरुआत से ही विश्व के दो देशों देशों के बीच सीमा पर काफी तनावपूर्ण हालात हैं। एक है विकासोन्मुख बृहदतम लोकतांत्रिक राष्ट्र और दूसरा कम्युनिस्ट विस्तारवादी देश। जिन महानुभावों को विस्तारवादी देश का अभिप्राय अब तक नहीं समझ आ रहा है उनके लिए यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि मेरे विस्तार…
Continue Reading